Panchsutra |
१. समय से साप्ताहिक बैठक |
२. समय से साप्ताहिक बचत |
३. आतंरिक लेनदेन |
४. समय से ऋण वापसी |
५. समय से लेखा जोखा |
१. समय से साप्ताहिक बैठक
समूह को सुचारु रूप से चलाने के लिए समूह में बैठक होना बहुत जरुरी है | बैठक समूह की जान है | जिस प्रकार अगर दिल धड़कना बंद कर दे तो मनुष्य मर जाता है उसी प्रकार समूह में बैठक ना हो तो समूह मर जाता है | समूह में बैठक करने से सभी सदस्यों में आपस में प्रेम भाव बढ़ता है व एक दूसरे के सुख-दुःख की जानकारी रखते है और उनमे शामिल भी होते है | समूह हमारे परिवार जैसा होता है हम दूसरे की जरूरतों का धयान रखते है | जिसे ऋण की जरुरत होती है वह आपस में बैठक में चर्चा करके ले लेता है और अपनी जरूरतों को पूरा करता है |
२. समय से साप्ताहिक बचत
बचत एक अच्छी आदत है जो हमें नियमित रूप से करनी ही चाहिए | बचत हमारे अच्छे और बुरे दोनों समय में काम आती है | हमें हर सप्ताह छोटी-छोटी बचत करनी चाहिए | समूह में छोटी-छोटी बचत विशाल वृक्ष का रूप धारण कर लेती है | हमारे समूह की मासिक बचत कम से कम एक दिन की मजदूरी के बराबर होनी चाहिए |
३. आंतरिक लेन-देन
समूह में जरूरतमंद सदस्य को ऋण देने में वरीयता देनी चाहिए | इस ऋण का उपयोग वह अपनी आजीविका को चलने व बढ़ाने में करे या कोई अचानक होने वाली जरुरतो में करे | समूह से ऋण लेने का सबसे बड़ा फायदा यह है हमें किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ता और अपना आत्म सम्मान बना रहता है और ऋण पर ब्याज दर भी बहुत कम होती है|
४. समय से ऋण वापसी
समूह से ऋण लेने पर हम उसे किस्तों में चुका सकते है हर माह ऋण जमा होने पर ब्याज घटता रहता है मूलधन अपनी क्षमता के अनुसार दे सकते है | किस्तों में ऋण देना हमें हल्का व आसान पड़ता है ऋण सही समय पर जमा होने से समूह के दूसरे सदस्यों को भी ऋण लेने का मौका मिलता है | ऋण की सही समय पर वापसी एक-दूसरे के प्रति विश्वास बढाती है और बैंक का विश्वास भी समूह पर बना रहता है |
५. समय से लेखा-जोखा
समूह की सभी बैठकों का व लेन-देन का लेखा-जोखा रखना बहुत जरुरी है | समय पर लेखा-जोखा करना हमारी समूह के प्रति जिम्मेदारी को दिखता है और बहीखाता को व्यवस्थित व सुरक्षित ढंग से रखना चाहिए|
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