राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन सरकार की एक योजना है जो आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओ के लिए है जो महिलाये खुद का काम या व्यापार करना चाहती है सरकार की यह योजना महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत व सक्षम बनाने के लिए एक महत्त्वपूर्ण योजना है और महिला उधमिता को बढ़ावा देने वाली योजना है
इस योजना के अंतर्गत सरकार १० से २० महिलाओ का एक समूह बनाती है इन समूहों से जुड़ने वाली महिलाये आसपास की ही होती है सरकार का इन समूहों को बनाने का एक लक्ष्य यह भी है कि इससे महिलाओ में आपस में प्रेम और विश्वास बढ़ता है और वो मिलकर अपने सुखदुख को आपस में बाट सकती है और इन समूहों का महिलाओ को एक फायदा और है की हम महिलाए जो समूह की सदस्य है उन्हें अगर कभी अपनी पारिवारिक जरुरत के लिए धन की आवश्यकता पड़ती है तो हम समूह की महिलाओ और समूह की अध्यक्ष से कारण बताकर ऋण ले सकती है अधिकतर ऐसा होता है की जब हमें धन की जरूरत पड़ती है तो हम अपने पडोसी, रिश्तेदार या साहूकार से पैसा मांगते है और जरुरी नहीं की वो हमें पैसा दे ही दे और अगर दे दिया तो रिश्तेदार और पडोसी से एक दबाव सा बना रहता है और ब्याज पैर पैसा लेने पैर हम और कर्जदार हो जाते है और समूह से धन लेने पैर हमें किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ता और किसी का एहसार और दबाव नहीं होता और धन बहुत काम ब्याज दर पर मिलता है और समय की भी कोई पाबन्दी नहीं होती है और वो ब्याज भी बाद में हममे आपस में ही बटता है और हमारा स्वाभिमान भी नहीं गिरता है
इस योजना के बारे में जानने के लिए अपने खंड विकास (ब्लॉक) में जाकर, अपने ग्राम के ग्राम विकास अधिकारी (सेक्रेटरी) से संपर्क करे
ग्राम विकास अधिकारी से अपने ग्राम में एक नया समूह बनाने के बारे में पूछे, वो बताएँगे कि आप १० से २० तक महिलाये इकट्ठी हो जाओ, १० से २० तक महिलाये इकट्ठी होने के बाद सेकेरेट्री या ए डी ओ समूह आकर आपसे मिलेंगे और समूह की पर्किर्या शुरू करेंगे जैसे फार्म भरना, इच्छुक महिलाओ से आधार कार्ड व वोटर कार्ड, राशन कार्ड आई डी के रूप में लिया जायेगा, आधार कार्ड अनिवार्य है और आपके घर पर ही समूह का निर्माण कर दिया जायेगा और समूह को दिया जायेगा (जैसे हमारे समूह का नाम संगम स्वयं सहायता समूह है)| समूह के सारे सदस्यों से सलाह करके एक राशि तय कर ली जाएगी जिसे बचत कहते है जो पर्ति सप्ताह समूह के सदस्यों को जमा करनी होती है जो १५ या २० रूपये से शुरू हो जाती है
समूह में तीन पदाधिकारी होती है अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष व सचिव, तीनो के अलग-अलग काम होते है जैसे अध्यक्षा का कार्य है बैठकों की अध्यक्ष्ता करना जो प्रति सप्ताह होती है व समूह को सही तरीके से संचालित करना, कोषाध्यक्ष का कार्य समूह की बचत राशि को बैंक में जमा करना व बैठकों की कार्यवाही लिखना व सचिव का कार्य बैठकों के बारे में सूचित करना व अन्य कोई जानकारी देना
बैंक में समूह के नाम का एक बचत खाता खुलता है जिसमे अध्यक्षा व कोषाध्यक्ष के हस्ताक्षर से चैक के द्वारा धन निकला जाता है धन निकलने के लिए पहले एक बैठक करनी होती है और सभी सदस्यों की सहमति लेनी होती है | जिसकी कार्यवाही, कार्यवाही रजिस्टर में दर्ज की जाती है |
समूह के तीन महीने पूर्ण हो जाने पर सरकार द्वारा समूह को रिवाल्विंग फण्ड के नाम से रु १५००० की धनराशि, अपना कोई छोटा सा व्यापार शुरू करने के लिए मिलती है जो हमें सरकार को कभी वापस नहीं करनी पड़ती |
छः माह पूर्ण होने पर सरकार द्वारा समूह को रु ५०००० का ऋण मिलता है ये ऋण तब मिलेगा जब हम समूह में कोई काम या व्यापार शुरू करेंगे |
समय-समय पर ब्लॉक और विकास भवन स्तर पर समूहों को काम करने के लिए प्रशिक्षण व प्रोत्साहन दिया जाता है |
और अधिक जानकारियॉ आगे आने वाली पोस्ट में दी जाएगी | यदि आपके पास कोई सुझाव या शिकायत है तो mainwalbabli@gmail.com और नीचे दिए गए contact us या email करके बताये |
इस योजना के अंतर्गत सरकार १० से २० महिलाओ का एक समूह बनाती है इन समूहों से जुड़ने वाली महिलाये आसपास की ही होती है सरकार का इन समूहों को बनाने का एक लक्ष्य यह भी है कि इससे महिलाओ में आपस में प्रेम और विश्वास बढ़ता है और वो मिलकर अपने सुखदुख को आपस में बाट सकती है और इन समूहों का महिलाओ को एक फायदा और है की हम महिलाए जो समूह की सदस्य है उन्हें अगर कभी अपनी पारिवारिक जरुरत के लिए धन की आवश्यकता पड़ती है तो हम समूह की महिलाओ और समूह की अध्यक्ष से कारण बताकर ऋण ले सकती है अधिकतर ऐसा होता है की जब हमें धन की जरूरत पड़ती है तो हम अपने पडोसी, रिश्तेदार या साहूकार से पैसा मांगते है और जरुरी नहीं की वो हमें पैसा दे ही दे और अगर दे दिया तो रिश्तेदार और पडोसी से एक दबाव सा बना रहता है और ब्याज पैर पैसा लेने पैर हम और कर्जदार हो जाते है और समूह से धन लेने पैर हमें किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ता और किसी का एहसार और दबाव नहीं होता और धन बहुत काम ब्याज दर पर मिलता है और समय की भी कोई पाबन्दी नहीं होती है और वो ब्याज भी बाद में हममे आपस में ही बटता है और हमारा स्वाभिमान भी नहीं गिरता है
इस योजना के बारे में जानने के लिए अपने खंड विकास (ब्लॉक) में जाकर, अपने ग्राम के ग्राम विकास अधिकारी (सेक्रेटरी) से संपर्क करे
ग्राम विकास अधिकारी से अपने ग्राम में एक नया समूह बनाने के बारे में पूछे, वो बताएँगे कि आप १० से २० तक महिलाये इकट्ठी हो जाओ, १० से २० तक महिलाये इकट्ठी होने के बाद सेकेरेट्री या ए डी ओ समूह आकर आपसे मिलेंगे और समूह की पर्किर्या शुरू करेंगे जैसे फार्म भरना, इच्छुक महिलाओ से आधार कार्ड व वोटर कार्ड, राशन कार्ड आई डी के रूप में लिया जायेगा, आधार कार्ड अनिवार्य है और आपके घर पर ही समूह का निर्माण कर दिया जायेगा और समूह को दिया जायेगा (जैसे हमारे समूह का नाम संगम स्वयं सहायता समूह है)| समूह के सारे सदस्यों से सलाह करके एक राशि तय कर ली जाएगी जिसे बचत कहते है जो पर्ति सप्ताह समूह के सदस्यों को जमा करनी होती है जो १५ या २० रूपये से शुरू हो जाती है
समूह में तीन पदाधिकारी होती है अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष व सचिव, तीनो के अलग-अलग काम होते है जैसे अध्यक्षा का कार्य है बैठकों की अध्यक्ष्ता करना जो प्रति सप्ताह होती है व समूह को सही तरीके से संचालित करना, कोषाध्यक्ष का कार्य समूह की बचत राशि को बैंक में जमा करना व बैठकों की कार्यवाही लिखना व सचिव का कार्य बैठकों के बारे में सूचित करना व अन्य कोई जानकारी देना
बैंक में समूह के नाम का एक बचत खाता खुलता है जिसमे अध्यक्षा व कोषाध्यक्ष के हस्ताक्षर से चैक के द्वारा धन निकला जाता है धन निकलने के लिए पहले एक बैठक करनी होती है और सभी सदस्यों की सहमति लेनी होती है | जिसकी कार्यवाही, कार्यवाही रजिस्टर में दर्ज की जाती है |
समूह के तीन महीने पूर्ण हो जाने पर सरकार द्वारा समूह को रिवाल्विंग फण्ड के नाम से रु १५००० की धनराशि, अपना कोई छोटा सा व्यापार शुरू करने के लिए मिलती है जो हमें सरकार को कभी वापस नहीं करनी पड़ती |
छः माह पूर्ण होने पर सरकार द्वारा समूह को रु ५०००० का ऋण मिलता है ये ऋण तब मिलेगा जब हम समूह में कोई काम या व्यापार शुरू करेंगे |
समय-समय पर ब्लॉक और विकास भवन स्तर पर समूहों को काम करने के लिए प्रशिक्षण व प्रोत्साहन दिया जाता है |
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